शनिवार, 22 अगस्त 2009

सुखरोग

...लीवर पर चढ़ी चर्बी
धमनियों में चिपकी चर्बी
कोलेस्ट्रॉल ने खून किया गाढ़ा . .
चेक अप की मेरी रिपोर्टें यही कहती हैं।

डाक्टर से पूछा,
"मीठा नहीं खाता
तला नहीं खाता
घी देखे जमाना हो गया
बीवी बघार में तेल नहीं पानी डालती है।
भूख से कम ही खाता हूँ।
उमर भी अभी क्या हुई !
डाक्टर ऐसा मेरे साथ कैसे हो गया?
ऐसा केस तो मैंने अब तक नहीं देखा।"

डाक्टर ने बताया ,
"तुम्हें सुखरोग हो गया है।
ज़माना बदल चुका है।
कुछ भी करो,
जब तक सही खाओगे नहीं
सही श्रम नहीं करोगे
यह सब बढ़ता ही रहेगा।
केस ऐसा क्यों नहीं देखा?
भारत देश सामने है,
अभी उसकी उमर ही क्या है?
सुखरोग को नया मेडिकल साइंस
'भारत रोग' कहता है।
जांनते हो क्या?"

'सही खाना' और 'सही श्रम'
मैं तो कर लूँगा
लेकिन !
डाक्टर ऐसा जुमला फिर न बोले,
यह कौन सुनिश्चित करेगा?
कैसे सुनिश्चित करेगा?

सुखरोग की दवा कौन करेगा?

7 टिप्‍पणियां:

  1. भैया,
    आप की, अपनी और इस देश तीनों की बात कर रहा हूँ।
    - लखनऊ में 500 यूनिट नकली खून पकड़ा गया है।
    - जयपुर में बच्चों को लालच दे उनके शरीर से खून निकालने का मामला प्रकाश में आया है। . .
    कितनी मेहनत करते होंगे ये लोग ! लेकिन उस श्रम की उपलब्धि क्या है? दु:खी हूँ, अधिक नहीं लिखूँगा।

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  2. मार्मिक रचना...ऐसे लोगों को जो ग़रीबों का खून चूसते हैं हम फांसी क्यूँ नहीं दे देते?
    नीरज

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  3. भई इस " सुख रोग" का जवाब नही । यह गहराई मे जाकर ही डायग्नोस हो पाता है । अभी कुछ दिनो बाद मै भी अपनी (अपने नही) सुख दुख की कविताओं की श्रंखला देने वाला हूँ

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