रविवार, 7 मार्च 2010

गाली

तुम बोले
मैं बोला
तुमने देखा
मैंने देखा
तुम चले भी
तो मैं दौड़ा -
पता नहीं
जाने कब
तुम सोचने लगे
कि मैं हूँ ही नहीं।

उस दिन जब तुमने
रेत में सिर छिपाया था
मैंने भी सिर झुकाया था
रेत की ओर तुम्हारे साथ।
जाने क्यों
जो देखा था
वह चुभने सा लगा था आँखों में
तुम सिर गाड़े पड़े रहे
और मैं
आँख फाड़े
निकालता रहा
रेत के कण - कण दर कण
.. जो अन्धेरा सामने था
और उजला होता गया
क्षण दर क्षण ..

अन्धेरा तुम्हारे साथ था
रेत में आँख जो मूँदे थे
अन्धेरा मेरे साथ था
आँख जो खोले था मैं ...

अब जब कि तुम
रेत में सिर गाड़े
अपने पैरों को पटक
यह जता रहे हो
कि मैं वंचक हूँ ..
ठीक उसी समय
मैं चिल्ला रहा हूँ ...
"देखते रहो
अन्धेरा घना है"
ठीक इसी समय
तुम खोज रहे हो
अपने मन-शब्दकोष में
मेरे योग्य कोई
सुसंस्कृत परिष्कृत
जटिल अबूझ सी -
गाली

10 टिप्‍पणियां:

  1. ठीक इसी समय
    तुम खोज रहे हो
    अपने मन-शब्दकोष में
    मेरे योग्य कोई
    सुसंस्कृत परिष्कृत
    जटिल अबूझ सी -
    गाली

    -ओह! क्या बात है..

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  2. बड़ा लफ़ड़ा है। गाली भी सोच-समझकर दी जाये। जय हो!

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  3. सुसंस्कृत परिष्कृत
    जटिल अबूझ सी -
    गाली

    गाली न हुई कोई वेद की ऋचा हो गई।
    धन्य हैं ऐसे गाली देने वाले।

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  4. वाह!
    बेहतरीन..!

    लोग गाली सुनकर शर्म से न केवल गढ़ जाते हैं बल्कि सोंचते रहते हैं ...जटिल अबूझ सी गाली !

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  5. अहसास के बरक्स शब्दों की छायाएं
    मिटने का अच्छा बयां किया है आपने ! आभार !

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  6. .
    .
    .
    ठीक इसी समय
    तुम खोज रहे हो
    अपने मन-शब्दकोष में
    मेरे योग्य कोई
    सुसंस्कृत परिष्कृत
    जटिल अबूझ सी -
    गाली।


    कवि... कैसा रहेगा ?

    और हाँ, फायरफॉक्स में यह नया टैम्पलेट बहुत बेतरतीब सा लग रहा है, शब्द फ्रेम और सीमा रेखा से बाहर जा रहे हैं देखिये जरा क्या दिक्कत है?

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  7. शतुर्मुर्ग की ओरसे इंसान को गाली... इंसान कहींके..।

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  8. अब जब कि तुम
    रेत में सिर गाड़े
    अपने पैरों को पटक
    यह जता रहे हो
    कि मैं वंचक हूँ ..
    ठीक उसी समय
    मैं चिल्ला रहा हूँ ...
    "देखते रहो
    अन्धेरा घना है"
    और फिर जो कोई अन्धेरे से बाहर ही न चाहे तो --
    बेहतरीन -- गहरे अर्थ और --- बहुत कुछ

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  9. इन कविताओं पर टिप्पणी क्यों नहीं हो पाती मुझसे !
    हाँ, टेम्पलेट ठीक लगी मुझे !

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  10. डिग की डुगडुगी ऊपर जो सजा दी है आपने ! आभार ।

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