रविवार, 12 जून 2016

चाहना

(1) 
जानती हो? 
पहले चुंबन को 
व्यक्त कर सके नहीं 
आज तक कोई सुर, 
कोई गीत, कोई कथा - 
हर थका
पहले मिलन की दुखन 
चाहता है कहना 
और निढाल होता है। 


प्रेम है 
क्यों कि मनुष्य गढ़ने में 
असफल है!


(2) 
उनकी हंसी
सिसकी। 
प्रेम अधमरा
देह ठठरी।
... बस इतने में - 
एक अरब गीत
दो खरब कहानियाँ
सदियों लंबी सिनेमाई रीलें
टेक टेर हेर फेर ... 
... ढाई आखरों में 
कुछ और टांकना 
बस होगा दुहराना... 
... नहीं पूरना मुझे वह कहानी
मैं कुछ रखे हुये मरना चाहता हूँ।

अहिवात

बियाह की आधी सदी पश्चात
पूस की थी रात
न पूत न पतोहू न नात।
जोड़ की पीर वात
तेल के साथ 
मला काँपते हाथ 
बूढ़े की सौगात
बुढ़िया ने जाना अहिवात।
बस इतनी सी बात
दिया आशीर्वाद
हो सात जन्मों का साथ।
समवेत हास
दो अकेले स्वर्ग-वास।